उद्यानानि—बाग तथा पार्क; च—भी; अतितराम्—अत्यधिक; मन:—मन को; इन्द्रिय—तथा इन्द्रियों को; आनन्दिभि:— आनन्द प्रदान करने वाले; कुसुम—फूलों से; फल—फलों के; स्तबक—गुच्छे; सुभग—अत्यन्त सुन्दर; किसलय—नई टहनियाँ; अवनत—नीचे झुकी; रुचिर—आकर्षक; विटप—शाखाओं वाले; विटपिनाम्—वृक्षों के; लता-अङ्ग- आलिङ्गितानाम्—लताओं के अंगों द्वारा आलिंगित; श्रीभि:—सुन्दरता से; स-मिथुन—जोड़ों में; विविध—अनेक प्रकार के; विहङ्गम—पक्षियों द्वारा; जल-आशयानाम्—जलागारों के; अमल-जल-पूर्णानाम्—निर्मल जल से पूर्ण; झष-कुल-उल्लङ्घन—विविध प्रकार की मछलियों के कूदने से; क्षुभित—विक्षुब्ध; नीर—जल में; नीरज—कमलपुष्पों के; कुमुद—कुमुदिनी; कुवलय—कुवलय नामक पुष्प; कह्लार—कह्लार नामक पुष्प; नील-उत्पल—नीले कमल; लोहित—लाल; शत-पत्र-आदि— सौ पंखुडिय़ों वाले कमलपुष्प इत्यादि; वनेषु—वनों में; कृत-निकेतनानाम्—उन पक्षियों का जिन्होंने अपने घोंसले बना लिए हैं; एक-विहार-आकुल—बेरोक सुख से पूर्ण; मधुर—अत्यधिक मीठा; विविध—नाना प्रकार के; स्वन-आदिभि:—कम्पनों से; इन्द्रिय-उत्सवै:—इन्द्रिय सुख मनाने वाले; अमर-लोक-श्रियम्—देवताओं के लोकों की सुन्दरता; अतिशयितानि—मात करने वाले ।.
अनुवाद
कृत्रिम स्वर्गों के बाग-बगीचे स्वर्गलोक के उद्यानों की शोभा को मात करने वाले हैं। उन उद्यानों के वृक्ष लताओं से लिपटे जाकर फलों तथा फूलों से लदी शाखाओं के भार से झुके रहते हैं, जिसके कारण वे अतीव सुन्दर लगते हैं। यह सुन्दरता किसी को भी आकृष्ट करनेवाली और मन को भोगेच्छा से प्रफुल्लित कर देने वाली है। वहाँ अनेक जलाशय एवं झीलें हैं जिनका जल निर्मल, पारदर्शी है तथा मछलियों के कूदने से उद्वेलित होता रहता है और कुमुदिनी, कुवलय, कह्लार तथा नील एवं लाल कमल के पुष्पों से सुसज्जित रहता है। झीलों में चक्रवाक के जोड़े तथा अन्य अनेक जलपक्षी विहार करते हैं और प्रसन्न होकर कलरव करते हैं जिसे सुनकर मन और इन्द्रियों को अत्यन्त आह्लाद होता है।
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