श्रीमद् भागवतम
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श्लोक 15
श्लोक
यस्मिन् प्रविष्टेऽसुरवधूनां प्राय: पुंसवनानि भयादेव स्रवन्ति पतन्ति च ॥ १५ ॥
शब्दार्थ
यस्मिन्—जहाँ; प्रविष्टे—प्रवेश करने पर; असुर-वधूनाम्—उन असुर वधुओं का; प्राय:—प्राय:; पुंसवनानि—गर्भ; भयात्— भयवश; एव—ही; स्रवन्ति—बाहर सरकते हैं; पतन्ति—गिर पड़ते हैं; च—तथा ।.
अनुवाद
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जब सुदर्शन चक्र उन प्रदेशों में पहुँचता है, तो उसके तेज के भय से असुरों की गर्भिणी स्त्रियों का गर्भपात हो जाता है।
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