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    "यह भागवत पुराण सूर्य के समान प्रकाशमान है और इसका उदय धर्म, ज्ञान इत्यादि के साथ भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा निज धाम को प्रयाण करने के पश्चात् ही हुआ है।" - श्रीमद्भागवत १.३.४३
 
 
 
स्कन्ध 1:  सृष्टि
 
स्कन्ध 2:  ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति
 
स्कन्ध 3:  यथास्थिति
 
स्कन्ध 4:  चतुर्थ आश्रम की उत्पत्ति
 
स्कन्ध 5:  सृष्टि की प्रेरणा
 
स्कन्ध 6:  मनुष्य के लिए विहित कार्य
 
स्कन्ध 7:  भगवद्-विज्ञान
 
स्कन्ध 8:  ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
 
स्कन्ध 9:  मुक्ति
 
स्कन्ध 10:  परम पुरुषार्थ
 
स्कन्ध 11:  सामान्य इतिहास
 
स्कन्ध 12:  पतनोन्मुख युग
 
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  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
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>  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥