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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 23: ब्राह्मण-पत्नियों को आशीर्वाद  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  10.23.39 
द‍ृष्ट्वा स्त्रीणां भगवति कृष्णे भक्तिमलौकिकीम् ।
आत्मानं च तया हीनमनुतप्ता व्यगर्हयन् ॥ ३९ ॥
 
शब्दार्थ
दृष्ट्वा—देखकर; स्त्रीणाम्—अपनी पत्नियों की; भगवति—भगवान्; कृष्णे—कृष्ण में; भक्तिम्—शुद्ध भक्ति को; अलौकिकीम्—अलौकिक; आत्मानम्—अपने आपको; —तथा; तया—उससे; हीनम्—विहीन; अनुतप्ता:—पछतावा करते हुए; व्यगर्हयन्—अपने आपको धिक्कारा ।.
 
अनुवाद
 
 अपनी पत्नियों की पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् कृष्ण के प्रति दिव्य भक्ति और अपने को उस भक्ति से विहीन देखकर उन ब्राह्मणों को अतीव खेद हुआ और वे अपने आपको धिक्कारने लगे।
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥