जो व्यक्ति भगवान् कृष्ण की शुद्ध भक्ति चाहता है उसे भगवान् उत्तमश्लोक के यश:पूर्ण गुणों की कथाएँ सुननी चाहिए जिनके निरन्तर कीर्तन से सारे अमंगल विनष्ट हो जाते हैं। भक्तों को नियमित दैनिक सभाओं में ऐसे श्रवण में अपने को लगाना चाहिए और दिन-भर इसी में लगे रहना चाहिए।
तात्पर्य
चूँकि कृष्ण विषयक कोई भी कथा शुभ तथा दिव्य होती है, भगवान् कृष्ण के अपने राजनीतिक तथा गैर-राजनीतिक कार्यों का सीधा वर्णन निश्चय ही सुनने के लिए सर्वश्रेष्ठ विषयवस्तु है। यहाँ पर नित्यम् शब्द कृष्ण-कथाओं के नियमित अनुशीलन का सूचक है और अभीक्ष्णम् शब्द ऐसे नियमित आध्यात्मिक अनुभवों के निरन्तर स्मरण का सूचक है।
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