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श्री मंगल गीतम्  |
श्रील जयदेव गोस्वामी |
भाषा: हिन्दी | English | தமிழ் | ಕನ್ನಡ | മലയാളം | తెలుగు | ગુજરાતી | বাংলা | ଓଡ଼ିଆ | ਗੁਰਮੁਖੀ | |
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श्रितकमलाकुचमण्डल (हे)! धृतकुण्डल! ए।
कलितललितवनमाल (हे)! जय जय देव! हरे॥1॥ |
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दिनमणिमण्डलमण्डन (हे)! भवखण्डन! ए।
मुनिजनमानसहंस! जय जय देव! हरे॥2॥ |
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कालियविषधरगञ्जन (हे)! जनरञ्जन! ए।
यदुकुलनलिनदिनेश! जय जय देव! हरे॥3॥ |
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मधुमुरनरक-विनाशन (हे)! गरुड़ासन! ए।
सुरकुलकेलिनिदान! जय जय देव! हरे॥4॥ |
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अमलकमलदललोचन (हे)! भवमोचन! ए।
त्रिभुवनभुवननिधान! जय जय देव हरे॥5॥ |
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जनकसुताकृतभूषण (हे)! जितदूषण! ए।
समरशमितदशकण्ठ! जय जय देव! हरे॥6॥ |
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अभिनवजलधरसुन्दर (हे!) धृतमन्दर! ए।
श्रीमुखचन्द्रचकोर! जय जय देव! हरे॥7॥ |
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तव चरणे प्रणता वयमिति भावय ए।
कुरु कुशलं प्रणतेषु जय जय देव! हरे॥8॥ |
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श्रीजयदेवकवेरिदं कुरुते मुदम् (हे)! कुरूत मुदम (ए)!
मङ्गलमुज्ज्वगीतं जय जय देव! हरे॥9॥ |
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शब्दार्थ |
(1) हे भगवान् जो भाग्य की लक्ष्मियों के वक्षस्थल पर वास करते हैं। हे भगवान्, झूलते हुए कानो के कुंडल से सुशोभित! हे भगवान् जो वन के पुष्पों से बने आकर्षक हार पहनते हैं! हे जयदेव भगवान् (जो समस्त देवताओं को परास्त कर देते हैं)! हे भगवान हरि, आपकी जय हो! |
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(2) हे भगवान् जिनके आभूषण इतने वैभवशाली हैं जैसे सूर्य का तेज या चमक हे भगवान् जो जन्म एवं मृत्यु के चक्र को तोड़ देते हैं। हे हंस जो साधू-संतों के हृदय रूपी शांत झील में तैरते हैं। - हे भगवान् जयदेव, हे भगवान् हरि! आपकी जय जयकार हो! |
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(3) हे भगवान् जिन्होंने विषैले कालिया नाग को परास्त किया! हे लोगों को हर्षित करने वाले! हे तेज चमकदार सूर्य जो यदुवंश रूप कमल के पुष्प को खिला देते हैं- हे जयदेव! हे भगवान् हरि! आपकी जय हो! |
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(4) हे मधु, मूर एवं नरक नामक राक्षसों का वध करने वाले! हे भगवान! जो गरुड़ की पीठ पर सवार होते हैं! हे ईश्वर जो देवताओं के वंश में लीलाओं का आनन्द उठाते हैं!- हे भगवान् जयदेव, हे भगवान् हरि! आपकी जय-जयकार हो! |
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(5) हे ईश जिनके नेत्र कमल कर्णिकाओं के समान त्रुटिहीन एवं निर्मल हैं। हे जन्म एवं मृत्यु के बार-बार घूमने वाले चक्र से मुक्ति प्रदान करने वाले! हे तीनों लोकों के अमूल्य खजाने!- हे जयदेव! हे भगवान् हरि! आपकी जय हो! |
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(6) हे भगवान् जो महाराज जनक की पुत्री के आभूषण बने हो! हे भगवान् जिन्होंने सारे दुष्ट राक्षसों पर विजय प्राप्त कर ली है! हे भगवान् जिन्होनें युद्ध में दस शीश वाले रावण को परास्त कर दिया था। हे जयदेव! हे भगवान् हरि! आपकी जय हो! |
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(7) हे भगवान् जो नए वर्षा के मेघों के समान सुन्दर हैं। हे गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले! हे चकोर पक्षी जो श्रीमती राधारानी के मुख की चन्द्रकिरणों को पीते हैं। - हे जयदेव! हे भगवान् हरि! आपकी जय हो! |
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(8) हे भगवान! हम आपके चरणकमलों के समक्ष नतमस्तक हैं! हे कृपया इस प्रकार हमारे विषय में सोचिये और कृप्या हमें मंगल आशीर्वाद प्रदान करें, हम जो आपके समक्ष नतमस्तक हैं!- हे जयदेव! हे भगवान् हरि! आपकी जय हो! |
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(9) हे! कवि जयदेव का यह गीत दिवय प्रसन्नता लाता है! हे! यह एक शुभ मंगलकारी तेज चमकदार कांतिपूर्ण गीत है! हे जयदेव! हे भगवान् हरि! आपकी जय हो! |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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