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    "यह भागवत पुराण सूर्य के समान प्रकाशमान है और इसका उदय धर्म, ज्ञान इत्यादि के साथ भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा निज धाम को प्रयाण करने के पश्चात् ही हुआ है।" - श्रीमद्भागवत १.३.४३
 
 
संदर्भ एवं अर्थ
SB 1.1.23  -  धर्म
SB 1.3.43  -  धर्म
SB 1.8.50  -  सही निमित्त के लिए
SB 1.9.1  -  धर्म के कार्य
SB 1.9.12  -  धर्म
SB 1.9.28  -  वृत्तिपरक कार्य
SB 1.16.25  -  हे धर्म-रूप पुरुष
SB 1.17.25  -  हे धर्मरूप
SB 2.7.39  -  धर्म
SB 3.6.33  -  वृत्तिपरक कार्य
SB 3.7.32  -  धार्मिकता
SB 3.20.31  -  हे विदुर
SB 3.21.26  -  धार्मिक कृत्यों में
SB 3.21.51  -  धर्म
SB 3.28.3  -  धार्मिक प्रथा
SB 3.32.12-15  -  अपने पुण्य कर्मों से
SB 4.7.27  -  धर्म
SB 4.19.12  -  धर्म
SB 4.19.31  -  धार्मिक जीवन का
SB 4.20.15  -  धार्मिक सिद्धान्त
SB 4.21.35  -  वृत्तिपरक कर्म
SB 4.22.34  -  धर्म
SB 4.23.35  -  धर्म
SB 4.24.13  -  धार्मिकता में
SB 4.30.16  -  व्यापार
SB 5.1.29  -  धार्मिक नियम
SB 5.2.1  -  धार्मिक नियम
SB 5.4.14  -  धार्मिक नियम
SB 5.19.9  -  धर्म
SB 6.1.47  -  धार्मिक सिद्धान्त
SB 7.6.26  -  धर्म
SB 7.8.44  -  धार्मिक नियम
SB 7.10.65-66  -  धर्म
SB 8.1.5  -  धर्म
SB 9.20.4-5  -  धर्मेयु
SB 9.22.27-28  -  महाराज धर्म या धर्मराज
SB 10.16.50  -  धर्म के सिद्धान्त
SB 10.44.9  -  धर्म का
SB 10.49.24  -  धर्म से
SB 10.50.10  -  धर्म की
SB 10.51.39-40  -  धर्म की
SB 10.51.62  -  धर्म में
SB 10.58.40  -  धार्मिक मानदण्ड में
SB 10.64.19-20  -  धार्मिक कर्तव्य का
SB 10.64.31  -  धर्म का
SB 10.69.14  -  धर्म के
SB 10.74.35  -  धार्मिक कर्तव्य के नियम
SB 10.75.30  -  धर्म के (यमराज)
SB 10.76.27  -  अपने धर्म के
SB 10.78.24  -  धर्म के सिद्धान्तों का
SB 10.80.28  -  धर्म के
SB 10.84.8  -  धर्म के
SB 10.85.20  -  धर्म
SB 10.87.6  -  धर्म
SB 10.89.58  -  धर्म के नियमों की
SB 10.90.28  -  धार्मिकता
SB 11.4.5  -  धार्मिक कर्तव्यों का
SB 11.7.27  -  धर्म
SB 11.11.23-24  -  धार्मिक कार्य
SB 11.13.38  -  धार्मिक कर्तव्य
SB 11.19.11  -  धार्मिक सिद्धान्त के
SB 11.23.9  -  धार्मिकता
SB 11.23.12  -  धार्मिकता
SB 11.25.13  -  धर्म
SB 12.2.2  -  धार्मिक कर्तव्य
SB 12.6.45  -  धार्मिक अनुष्ठानों में
BG 2.7  -  धर्म
BG 4.8  -  धर्म के
BG 12.20  -  धर्म रूपी
BG 18.34  -  धार्मिकता
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
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